विक्रम बेताल की कहानी | Vikram Betal ki Kahani hindi mein (2024)

Vikram Betal ki Kahani:राजा विक्रम और बेताल के किस्सों पर कई सारी किताबें और कहानियाँ छपी हुई हैं। जिन्हें आज भी लोग बहुत पसंद करते है। दूरदर्शन पर नब्बे के दशक में “विक्रम और बेताल” नाम का एक सीरियल भी आता था, जिसे काफी सराहा भी गया था। आज हम इस विक्रम और बेताल की रोचक कहानी पढ़ेगें।

कहा जाता है कि राजा विक्रम ने बेताल को पच्चीस बार पेड़ से उतार कर ले जाने की कोशिश की थी और बेताल ने हर बार रास्ते में एक नई कहानी राजा विक्रम को सुनाई थी।आईए उनमें से एक कहानी में आपको सुनाती हूँ।

विक्रम बेताल की पहली कहानी

प्राचीन काल में विक्रम नाम का एक राजा हुआ करता था। राजा विक्रम अपने साहस, पराक्रम बहुत मशहूर थे। राजा विक्रम अपनी प्रजा से बहुत ही जुड़े रहते थे। उनके जीवन के दुःख, दर्द जानने के लिए रात्री में भेष बदल कर अपने नगर में घूमते थे। बेसहारा और दुःखी प्रजा का दुःख भी दूर करते थे।

किसी गांव में एक तांत्रिक रहता था। वह अपनी तांत्रिक विद्या बढ़ाने के लिए बत्तीस लक्षण वाले ब्राह्मण पुत्र की बली देने का सोचता है ताकि उसकी शक्तियाँ चार गुना बढ़ जाए।

यह सोचकर तांत्रिक गांव-गांव घुमना शुरू करता है। एक दिन तांत्रिक ने जैसा उसे ब्राह्मण पुत्र चाहिए था उसने ढुढ़ लिया। तांत्रिक उसको मारने के लिए उसके पीछे पड़ता है। पर वह ब्राह्मण पुत्र भाग कर जंगल में चला जाता है और वहाँ उसे एक प्रेत मिलता है, जो ब्राह्मण पुत्र को उस तांत्रिक से बचने के लिए शक्तियाँ देता है और वहीं प्रेत रूप में पेड़ पर उल्टा लटक जाने को कहता है। और यह भी कहता है कि जब तक वह उस पेड़ पर रहेगा तब तक वह तांत्रिक उसे मार नहीं पाएगा। वही ब्राह्मण पुत्र “बेताल” होता है।

ब्राह्मण पुत्र की उम्र काफी कम होती है बच्चा मन यह नहीं समझ पाता की वह जिससे मदद ले रहा है। वह भी उसे ठग कर मनुष्य से प्रेत बना रहा है। तांत्रिक के डर से वह वहीं करता है जो वह प्रेत कहता है।

तांत्रिक बहुत कोशिश करता है उस बालक को पेड़ से नीचे उतारने की पर वह नही कर पाता है।

एक दिन तांत्रिक को राजा विक्रम के पराक्रम और शौर्य गाथाओं क बारे में सुनता है। तो वह सोचता है क्यों ना इस राजा की मदद से उस बालक को पेड़ से नीचे उतारा जाए।

राजा विक्रम से उस पेड़ पर लटक रहे प्रेत बेताल को लाने के लिए कहता है। राजा विक्रम अपनी प्रजा का काम समझ कर उस तांत्रिक की असल मंशा से अनजान उसका काम करने निकल पड़ते है।

राजा विक्रम पेड़ से बेताल को हर बार उतार लेते और उस तांत्रिक के पास ले जाने लगते। रास्ता लंबा होने की वजह से हर बार बेताल कहानी सुनाने लगता और यह शर्त रखता है कि कहानी सुनने के बाद यदि राजा विक्रम ने उसके प्रश्न का सही उत्तर ना दिया तो वह राजा विक्रम को मार देगा। और अगर राजा विक्रम ने जवाब देने के लिए मुंह खोला तो वह रूठ कर फिर से अपने पेड़ पर जा कर उल्टा लटक जाएगा।

बेताल कहानी सुनाना शुरू करता है-

किसी गाँव में एक वृद्ध स्त्री रहती थी। उसका एक बेटा था जिसका नाम राजू था। वह स्त्री कपड़े सिलने का काम कर के अपना और अपने बेटे का पेट पालती थी।

राजू़ू कामचोर और आलसी लड़का था। वह दिन रात गांव में घुमता फिरता रहता था। घर पर मां की किसी भी काम में बिल्कुल भी मदद नहीं करता था।

राजू के पास एक दिव्य शक्ति थी राजू जो भी सपना देखा वह हकीकत बन जाता था। राजूू के साथ एक बड़ी परेशानी भी थी कि उसे अक्सर बुरे सपने ही आते थे। और जब भी कोई बुरा सपना आता था, वह सपना हकीकत बन जाता था।

एक दिन राजूू को सपना आता है कि कुछ लोग विवाहित परिवार और बारात को लूट रहे हैं और उनसे मारपीट भी कर रहे हैं। राजूू ने जिस लड़की को सपने में देखा वह थोड़ी देर बाद उसे अपने ही घर में नजर आती है। वही दुल्हन बनने वाली लड़की अपनी शादी का लहंगा सिल जाने के बाद वापिस लेने राजूू की माँ के पास आती है।

राजूू फौरन उसे अपने सपने वाली बात कह देता है। वह लड़की घबराई हुई अपने घर जाकर अपनी माँ को राजू की बात बताती है पर सब लोग इस स्वप्न वाली बात को वहम समझ कर अनसुना कर देते हैं।

शादी के बाद जब वर-वधू बारात के साथ जा रहे होते हैं तब सपने वाला वाकया सच में घटित हो जाता है। इस पूरी घटना में राजू पर आरोप लगते हैं कि वही लूटेरों से मिला होगा वरना। उसे कैसे पता चल सकता है कि ऐसा ही होगा और शक की बिनाह पर सारे लोग मिल कर राजू की खूब पिटाई करते हैं।

इस घटना के कुछ दिनों बाद एक रात राजू को सपना आता है कि मोहल्ले में रह रही चौधराइन का नया मकान गृहप्रवेश के दिन ही जल कर खाक हो जाता है। तभी अगले ही दिन चौधराइन उस मकान को बनवाने की खुशी में लड्डू ले कर राजू की माँ के पास पहुँचती हैं। वह उसे गृहप्रवेश समारोह के दिन जलसे में आने का न्योता देती है।

वहीं पर सपने की बात राजू फौरन अपनी माँ से और चौधराइन से कह देता है। चौधराइन गुस्से से लाल हो जाती है। राजू की माँ को ही कहने लगती हैं कि तुम्हारा बेटा ही काली जुबान वाला है और उसके बोलने से ही सब के साथ अनर्थ हो जाता है। चौधराइन गुस्से में जली कटी सुना कर माँ बेटे को भला-बुरा कह कर वहाँ से चली जाती हैं।

गृहप्रवेश समारोह के दौरान कोई घटना ना हो इसके लिए पक्के इंतजाम किये जाते हैं। फिर भी किसी ना किसी तरह आग की चिंगारी चौधराइन के भव्य मकान के परदों में लग जाती है और देखते-देखते पूरा मकान जल कर खाक हो जाता है। चूँकि राजू इस बारे में पहले ही बोल चुका था। इसलिए सब उसे काली जुबान का बोल उसपर गांव वाले टूट पड़ते हैं और उसे मारकर गाँव से निकाल देते हैं।

राजू समझ नहीं पाता है कि लोगो को सच सुन कर उसी पर क्रोध क्यों आता है। खैर, राजू एक दुसरे राज्य में अपनी मां के साथ चला जाता है।
राजू सोचता है मेरी वजह से मां को भी गांव छोड़ना पड़ा। अब मै कुछ काम करूँगा। मां को घर में आराम करने को बोलूंगा। उसी दिन उसे रात की पहर में महल की चौकीदारी करने का काम भी मिल जाता है।

वहां के राजा को अगले दिन सोनपुर किसी काम से जाना होता है। इसलिए वह रानी को कहते है कि उसे सुबह जल्दी उठा दें।

राजू रात में महल के दरवाजे पर चैकीदारी कर रहा होता है। तभी चौकीदारी करते वक्त अंधेरा होने पर उसे नींद आ जाती है और फिर उसे सपना आता है कि सोनपुर में भूकंप आया है और वहां मौजूद सभी व्यक्ति मर गए हैं। राजू चैंक कर उठ जाता है और अपनी चौकीदारी करने लगता है।

राज़ू सुबह चौकीदारी का काम खत्म कर घर जाने लगता है तभी उसे राजा के सोनपुर जाने की बात मालूम होती है। तभी उनका का रथ रुकवा कर अपने स्वप्न वाली बात राजा को बता देता है। राजा सोनपुर जाने का कार्यक्रम रद्द कर देते है।

अगले ही दिन समाचार में आता है कि सोनपुर में अचानक भूकंप आया है और वहाँ एक भी व्यक्ति जीवित नहीं बचा है। राजा तुरंत राजूू को दरबार में बुला कर सोने का हार भेंट देते हैं और उसे नौकरी से निकाल बाहर करते हैं।

इतनी कहानी सुनाकर बेताल चुप हो जाता है। वह राजा विक्रम को प्रश्न करता है कि बताओ राजा ने राजू को पुरस्कार क्यों दिया? और पुरस्कार दिया तो उसे काम से क्यों निकाला?

राजा विक्रम उत्तर देते है कि राजू के सपने की वजह से राजा की जान बच गई। इसलिए राज़ू को पुरस्कार दिया गया और राज़ू चौकीदारी के वक्त सो गया इसलिए राजा ने उसे काम से निकाल दिया।

बेताल अपनी शर्त के मुताबिक राजा विक्रम के उत्तर देने के कारण हाथ छुड़ा कर वापस पेड़ की ओर उड़ जाता है।

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