विक्रम-बैताल की कहानी: सबसे बड़ा बलिदान | sabse bada balidan - Vikram betal story in hindi | बेताल पच्चीसी - story 5 (2024)

Vikram Betal | बिक्रम बेताल | Balidan | Hindi Cartoon Story

sabse bada balidan – Vikram betal story in hindi

राजा विक्रमादित्य बेताल के इस खेल से थकने लगे थे, पर वे अपने वायदे के पक्के थे। उन्होने फिर से पीपल के पेड़ पर से बेताल को उतारकर कंघे पर डाला और चलने लगे।

बेताल को बहुत मजा आ रहा था। उसने पूछा, “आप कब तक ऐसा करना चाहते हैं?” राजा ने कहा, “यह तो तुम पर निर्भर है”। बेताल ने हंसकर कहा, “ठीक है मैं अपनी कहानी शुरु करता हूँ।”

विक्रम-बैताल की कहानी: सबसे बड़ा बलिदान | sabse bada balidan - Vikram betal story in hindi | बेताल पच्चीसी - story 5 (1)

बहुत पहले महाबलीपुर नामक शहर चंद्रपति नामक एक धनी व्यापारी रहता था। उसकी मधुमाला नाम की एक सुंदर कन्या थी। एक बार किसी सामाजिक कार्यक्रम में मधुबाला की मुलाकात आदित्य नामक एक खूबसूरत, जवान हो गई। दोनों एक दूसरे से बहुत अधिक प्रभावित हुए और परस्पर प्रेम करने लगे।

उनका प्रेम बढ़ते बढ़ते इतना बढ़ गया कि आदित्य ने मधुमाला से विवाह करने का निश्चय किया। आदित्य मधुबाला के पिता के पास उनकी अनुमति और आशीर्वाद लेने गया, पर चंद्र पति ने सर्वज्योति नामक किसी धनी सौदागर के साथ पहले ही अपनी पुत्री का विवाह निश्चित कर रखा था। आदित्य यह जानकर बहुत दुखी हो गया, उसका दिल टूट गया था।

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वह मधुबाला की याद में दुखी रहने लगा। एक दिन उसने मधुमाला को भूल जाने का निर्णय लिया। पर्र मधुमाला उसके प्रेम को भुला नहीं पा रही थी। ना चाहते हुए भी उसे परिवार की खुशी के लिए सर्वज्योति विवाह करना पड़ा।

विवाह के पहले ही दिन मधुमाला ने आदित्य को एक पत्र लिखा कि वह उसके बिना नहीं रह सकती है। विवाह के तुरंत बाद सब छोड़कर उसके पास आ जाएगी और फिर दोनों साथ रहेंगे। विवाह की रात मधुमाला ने सर्व ज्योति को सब कुछ सच-सच बता दिया सर्व ज्योति ने उससे कोई जबरदस्ती ना करते हुए उसे आजाद कर दिया।

मधुमाला विवाह के जोड़े में आभूषण से लदी आदित्य के पास चल दी। रास्ते में उसे एक चोर मिला, जो सारे आभूषण लेना चाहता था।

मधुमाला ने आग्रह किया, “ मैं अपने प्रेमी के पास जाने की जल्दी में हूं। उससे मिलने के बाद मैं तुम्हें सारे आभूषण दे दूंगी”। चोर को विश्वास तो नहीं हुआ फिर भी उसने मधुमाला को जाने दिया।

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मधुमाला ने आदित्य के घर पहुंचकर दरवाजा खटखटाया। आदित्य बाहर निकला और उसे देखकर अचंभित रह गया। वह नाराज होता हुआ बोला, “ तुम अब एक विवाहित स्त्री हो। तुम्हें अपने पति के साथ होना चाहिए था। मैं किसी दूसरे की पत्नी के साथ नहीं रह सकता हूं। तुम वापस जाओ, यहां तुम्हारी कोई जगह नहीं है”। यह कहकर उसने दरवाजा बंद कर लिया।

मधुमाला बहुत रोई, पर भारी मन से उसे वापस लौटना पड़ा। रास्ते में फिर उसे चोर मिला। उसे देखते ही मधुमाला ने रोते रोते अपने भूषण उतारने शुरू कर दिए। चोर ने उसे रोता हुआ देख पूछा, “ तुम रो क्यों रही हो?” मधुमाला ने उसे अपनी कहानी सुना दी। चोर बहुत दुखी हुआ और उसे सुरक्षित उसके घर पहुंचा दिया।

सर्वज्योति उसे वापस आया देख नाराज होता हुआ बोला, “ तुम पराए आदमी के लिए घर छोड़कर चली गई थी। अब मैं तुम पर विश्वास नहीं कर सकता। मुझे क्षमा करो, अब मैं तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं कर सकता, तुम जा सकती हो।”

मधुमाला पर तो मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, अब वह कहां जाती? शर्मिंदगी के कारण मधुबाला ने नदी में डूबकर अपनी जान दे दी। बेताल ने थोड़ा रुक कर राजा से पूछा, “ राजन आपके विचार में सबसे बड़ा बलिदान किसका था?”

राजा ने कहां, “ बलिदान वो होता है जो स्वार्थ रहित तथा स्वेच्छा से किया जाता है। आदित्य ने मधु माला का प्रेम ठुकराया पर किसी कारण से। मधुमाला किसी दूसरे की पत्नी थी और वह किसी दूसरे की पत्नी के साथ नहीं रह सकता था।”

सर्व ज्योति ने मधुमाला को जाने तो दिया पर वापस नहीं ले सकता था, क्योंकि उसे उस पर विश्वास नहीं था। मधुमाला ने शर्मिंदगी के कारण अपनी जान दी.. इन सभी को बलिदान नहीं कहा जा सकता है। बलिदान तो चोर ने दिया। चोरी करके वह अपनी जीविका चलाता है। उसे मधुमाला पर दया आई और उसने उसके आभूषणों को नहीं लिया। उसकी इंसानियत बलिदान का सर्वोत्तम उदाहरण है।

“मुझे पता था कि तुम सही उत्तर दोगे..” बेताल ने कहा और वापस उड़कर पेड़ पर चला गया। विक्रमादित्य मुढ़े और फिर पेड़ की ओर चल दिए।

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